Sunday, 19 October 2025

कविता. ५६६५. खयालों को सपनों की।

                            खयालों को सपनों की।

खयालों को सपनों की आहट सरगम सुनाती है इशारों को जज्बातों की रोशनी एहसास सुनाती है अदाओं को मुस्कान सुनाती है।

खयालों को सपनों की सुबह अरमान सुनाती है कदमों को अल्फाजों की दुनिया बदलाव सुनाती है आशाओं को मुस्कान सुनाती है।

खयालों को सपनों की सोच पहचान सुनाती है किनारों को अंदाजों की कोशिश अफसाना सुनाती है उजालों को मुस्कान सुनाती है।

खयालों को सपनों की उमंग पुकार सुनाती है आवाजों को उजालों की आहट सरगम सुनाती है तरानों को मुस्कान सुनाती है।

खयालों को सपनों की आवाज उम्मीद सुनाती है अंदाजों को राहों की परख अहमियत सुनाती है धाराओं को मुस्कान सुनाती है।

खयालों को सपनों की आस अल्फाज सुनाती है नजारों को बदलावों की दास्तान सौगात सुनाती है राहों को मुस्कान सुनाती है।

खयालों को सपनों की सौगात तलाश सुनाती है लहरों को अरमानों की सोच उम्मीद सुनाती है एहसासों को मुस्कान सुनाती है।

खयालों को सपनों की परख जज्बात सुनाती है लम्हों को कदमों की कोशिश अफसाना सुनाती है नजारों को मुस्कान सुनाती है।

खयालों को सपनों की कोशिश उमंग सुनाती है दिशाओं को किनारों की आहट एहसास सुनाती है उम्मीदों को मुस्कान सुनाती है।

खयालों को सपनों की समझ‌ दास्तान सुनाती है अल्फाजों को इरादों की सुबह पहचान सुनाती है आवाजों को मुस्कान सुनाती है।

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