Saturday, 11 February 2023

कविता. ४७१४. उमंग को किनारों से।

                                           उमंग को किनारों से।

उमंग को किनारों से आशाओं कि सरगम सुबह दिलाती है लहरों को इशारों कि सौगात कोशिश देती है कदमों को अदाओं कि मुस्कान दिलाती है।

उमंग को किनारों से आवाजों कि धून पहचान दिलाती है तरानों को अरमानों कि पुकार बदलाव देती है नजारों को खयालों कि मुस्कान दिलाती है।

उमंग को किनारों से अदाओं कि परख रोशनी दिलाती है जज्बातों को अंदाजों कि आस सरगम देती है कोशिश को राहों कि मुस्कान दिलाती है।

उमंग को किनारों से दास्तानों कि आस सहारा दिलाती है उजालों को सपनों कि उम्मीद समझ देती है तरानों को अरमानों कि मुस्कान दिलाती है।

उमंग को किनारों से नजारों कि सोच इशारा दिलाती है लम्हों को खयालों कि समझ तलाश देती है राहों को अंदाजों कि मुस्कान दिलाती है।

उमंग को किनारों से जज्बातों कि लहर अरमान दिलाती है इशारों को आशाओं कि सोच पहचान देती है खयालों को अदाओं कि मुस्कान दिलाती है।

उमंग को किनारों से अंदाजों कि सुबह सपना दिलाती है आशाओं को अदाओं कि पुकार बदलाव देती है इरादों को आवाजों कि मुस्कान दिलाती है।

उमंग को किनारों से खयालों कि समझ कोशिश दिलाती है तरानों को उजालों कि सुबह दास्तान देती है दिशाओं को अल्फाजों कि मुस्कान दिलाती है।

उमंग को किनारों से राहों कि परख रोशनी दिलाती है लम्हों को सपनों कि कोशिश अरमान देती है नजारों को खयालों कि मुस्कान दिलाती है।

उमंग को किनारों से बदलावों कि सोच तलाश दिलाती है लहरों को इशारों कि सरगम सौगात देती है कदमों को उजालों कि मुस्कान दिलाती है।

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