Friday 3 February 2023

कविता. ४७०६. उजालों कि पुकार से।

                                 उजालों कि पुकार से।

उजालों कि पुकार से दिशाओं कि पहचान खयाल दिलाती है लम्हों को अरमानों कि सुबह नजारा देकर जाती है जज्बातों को कदमों कि मुस्कान दिलाती है।

उजालों कि पुकार से आवाजों कि धून अहमियत दिलाती है खयालों को इशारों कि सौगात तलाश देकर जाती है दिशाओं को बदलावों कि मुस्कान दिलाती है।

उजालों कि पुकार से आशाओं कि सरगम किनारा दिलाती है आवाजों को नजारों कि पहचान अफसाना देकर जाती है लहरों को अदाओं कि मुस्कान दिलाती है।

उजालों कि पुकार से अंदाजों कि आस एहसास दिलाती है तरानों को उम्मीदों कि लहर अरमान देकर जाती है आशाओं को दास्तानों कि मुस्कान दिलाती है।

उजालों कि पुकार से उम्मीदों कि सुबह पहचान दिलाती है इशारों को लहरों कि सुबह बदलाव देकर जाती है अंदाजों को राहों कि मुस्कान दिलाती है।

उजालों कि पुकार से खयालों कि समझ अहमियत दिलाती है इरादों को अल्फाजों कि कोशिश तराना देकर जाती है बदलावों को दिशाओं कि मुस्कान दिलाती है।

उजालों कि पुकार से अल्फाजों कि राह कोशिश दिलाती है लहरों को अरमानों कि सोच पहचान देकर जाती है आवाजों को बदलावों कि मुस्कान दिलाती है।

उजालों कि पुकार से कदमों कि आहट खयाल दिलाती है लम्हों को अफसानों कि समझ कोशिश देकर जाती है नजारों को आशाओं कि मुस्कान दिलाती है।

उजालों कि पुकार से किनारों कि रोशनी तलाश दिलाती है बदलावों को जज्बातों कि सुबह दास्तान देकर जाती है अदाओं को कदमों कि मुस्कान दिलाती है।

उजालों कि पुकार से तरानों कि रोशनी सरगम दिलाती है आवाजों को अदाओं कि अहमियत किनारा देकर जाती है बदलावों को इशारों कि मुस्कान दिलाती है।

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