Tuesday, 28 February 2023

कविता. ४७३१. उमंग को लहरों संग।

                                        उमंग को लहरों संग।

उमंग को लहरों संग आवाजों कि धून दास्तान दिलाती है लम्हों कि रोशनी से कदमों कि आहट खयाल देकर जाती है जज्बातों को सहारा दिलाती है।

उमंग को लहरों संग आशाओं कि सरगम कोशिश दिलाती है राहों कि नजारों से उजालों कि पुकार पहचान देकर जाती है किनारों को सहारा दिलाती है।

उमंग को लहरों संग अंदाजों कि आस बदलाव दिलाती है तरानों कि तलाश से आवाजों कि धून अहमियत देकर जाती है इशारों को सहारा दिलाती है।

उमंग को लहरों संग कदमों कि राह किनारा दिलाती है इशारों कि सौगात से अफसानों कि समझ सुबह देकर जाती है अरमानों को सहारा दिलाती है।

उमंग को लहरों संग किनारों कि मुस्कान तलाश दिलाती है लहरों कि कोशिश से आशाओं कि सरगम तराना देकर जाती है दिशाओं को सहारा दिलाती है।

उमंग को लहरों संग उम्मीदों कि समझ अदा दिलाती है इरादों कि परख से अल्फाजों कि कोशिश पहचान देकर जाती है नजारों को सहारा देती है।

उमंग को लहरों संग अदाओं कि परख रोशनी दिलाती है कदमों कि आहट से अरमानों कि सोच बदलाव देकर जाती है खयालों को सहारा देती है।

उमंग को लहरों संग दास्तानों कि कोशिश सपना दिलाती है किनारों कि मुस्कान से तरानों कि पुकार आस देकर जाती है इशारों को सहारा देती है।

उमंग को लहरों संग आवाजों कि आस सरगम दिलाती है उजालों कि आवाज से कदमों कि आहट नजारा देकर जाती है एहसासों को सहारा देती है।

उमंग को लहरों संग सपनों कि लहर अफसाना दिलाती है इरादों कि कोशिश से आशाओं कि राह अरमान देकर जाती है कदमों को सहारा देती है।

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