Monday, 13 February 2023

कविता. ४७१६. किनारों को अल्फाजों कि।

                                   किनारों को अल्फाजों कि।

किनारों को अल्फाजों कि मुस्कान तलाश सुनाती है दिशाओं को बदलावों कि सोच सरगम दिलाती है लम्हों को खयालों कि कोशिश एहसास देती है।

किनारों को अल्फाजों कि समझ सपना सुनाती है नजारों को राहों कि पहचान अहमियत दिलाती है लहरों को इशारों कि सुबह एहसास देती है।

किनारों को अल्फाजों कि सौगात तराना सुनाती है उजालों को सपनों कि आस कोशिश दिलाती है इरादों को आशाओं कि रोशनी एहसास देती है।

किनारों को अल्फाजों कि परख आवाज सुनाती है जज्बातों को कदमों कि सौगात पुकार दिलाती है उम्मीदों को अंदाजों कि आस एहसास देती है।

किनारों को अल्फाजों कि सोच खयाल सुनाती है इशारों को लम्हों कि रोशनी बदलाव दिलाती है अदाओं को तरानों कि सौगात एहसास देती है।

किनारों को अल्फाजों कि मुस्कान तलाश सुनाती है अंदाजों को बदलावों कि परख कोशिश दिलाती है इशारों को लम्हों कि पुकार एहसास देती है।

किनारों को अल्फाजों कि सोच पहचान सुनाती है कदमों को अदाओं कि राह अरमान दिलाती है इरादों को नजारों कि सुबह एहसास देती है।

किनारों को अल्फाजों कि आहट बदलाव सुनाती है लम्हों को दास्तानों कि सोच सपना दिलाती है अरमानों को दिशाओं कि कहानी एहसास देती है।

किनारों को अल्फाजों कि आस सरगम सुनाती है नजारों को राहों कि सौगात बदलाव दिलाती है आशाओं को अदाओं कि पुकार एहसास देती है।

किनारों को अल्फाजों कि उमंग अफसाना सुनाती है इरादों को नजारों कि सोच खयाल दिलाती है कदमों को उजालों कि तलाश एहसास देती है।

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