Tuesday 14 February 2023

कविता. ४७१७. उमंग को कदमों कि।

                                     उमंग को कदमों कि।

उमंग को कदमों कि आहट अक्सर सपनों कि लहर दिलाती है लम्हों कि पुकार से आवाजों कि धून पुकार सुनाती है नजारों कि मुस्कान देती है।

उमंग को कदमों कि आस अक्सर लहरों कि पहचान दिलाती है लहरों कि सरगम से खयालों कि समझ सपना सुनाती है आशाओं कि मुस्कान देती है।

उमंग को कदमों कि तलाश अक्सर इशारों कि सौगात दिलाती है किनारों कि सोच से दिशाओं कि सुबह तराना सुनाती है जज्बातों इइइखीघिइइआउ कि मुस्कान देती है।

उमंग को कदमों कि राह अक्सर खयालों कि सोच दिलाती है नजारों इकि सौगात से दास्तानों कि कोशिश अदा सुनाती है आवाजों कि मुस्कान देती है।

उमंग को कदमों कि रोशनी अक्सर अल्फाजों कि बदलाव दिलाती है अंदाजों कि सोच से एहसासों कि लहर सपना सुनाती है अदाओं कि मुस्कान देती है।

उमंग को कदमों कि कोशिश अक्सर आशाओं कि सरगम दिलाती है इशारों कि सौगात से अदाओं कि परख तलाश सुनाती है लम्हों कि मुस्कान देती है।

उमंग को कदमों कि सरगम अक्सर दिशाओं कि कहानी दिलाती है इरादों कि कोशिश से आशाओं कि सरगम तराना सुनाती है बदलावों कि मुस्कान देती है।

उमंग को कदमों कि रोशनी अक्सर नजारों कि परख दिलाती है दिशाओं कि कहानी से एहसासों कि समझ पहचान सुनाती है लहरों कि मुस्कान देती है।

उमंग को कदमों कि सुबह अक्सर दास्तानों कि पुकार दिलाती है जज्बातों कि सोच से आवाजों कि आस एहसास सुनाती है तरानों कि मुस्कान देती है।

उमंग को कदमों कि आहट अक्सर अरमानों कि कोशिश दिलाती है लहरों कि सुबह से किनारों कि सोच खयाल सुनाती है राहों कि मुस्कान देती है।

 

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