Thursday 2 February 2023

कविता. ४७०५ . किनारों को सपनों कि।

                                 किनारों को सपनों कि।

किनारों को सपनों कि लहर अल्फाज सुनाती है लम्हों को खयालों कि समझ अरमान दिलाती है अदाओं मे कोशिश संग एहसास जगाती है।

किनारों को सपनों कि आस आवाज सुनाती है नजारों को दिशाओं कि सौगात अदा दिलाती है दास्तानों मे अरमानों संग एहसास जगाती है।

किनारों को सपनों कि रोशनी कोशिश सुनाती है जज्बातों को कदमों कि आहट खयाल दिलाती है लहरों मे इशारों संग एहसास जगाती है।

किनारों को सपनों कि समझ बदलाव सुनाती है आशाओं को बदलावों कि सोच राह दिलाती है अफसानों मे अंदाजों संग एहसास जगाती है।

किनारों को सपनों कि सौगात तलाश सुनाती है तरानों को अरमानों कि सुबह पुकार दिलाती है अल्फाजों मे दिशाओं संग एहसास जगाती है।

किनारों को सपनों कि तलाश जज्बात सुनाती है अदाओं को तरानों कि पहचान परख दिलाती है खयालों मे आवाजों संग एहसास जगाती है।

किनारों को सपनों कि राह अफसाना सुनाती है लहरों को खयालों कि मुस्कान आस दिलाती है लम्हों मे अंदाजों संग एहसास जगाती है।

किनारों को सपनों कि सुबह इशारा सुनाती है नजारों को दिशाओं कि कहानी कोशिश दिलाती है बदलावों मे खयालों संग एहसास जगाती है।

किनारों को सपनों कि परख कोशिश सुनाती है लम्हों को दास्तानों कि समझ पुकार दिलाती है लहरों मे आवाजों संग एहसास जगाती है।

किनारों को सपनों कि पहचान आहट सुनाती है तरानों को अरमानों कि सुबह सोच दिलाती है अल्फाजों मे बदलावों संग एहसास जगाती है।

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