Saturday 18 February 2023

कविता. ४७२१. इशारों कि सौगात से।

                                    इशारों कि सौगात से।

इशारों कि सौगात से दास्तानों संग कोशिश जगाती है जज्बातों को एहसासों कि रोशनी सहारा सुनाती है आवाजों को अदाओं कि परख आस दिलाती है।

इशारों कि सौगात से नजारों संग अरमान जगाती है आशाओं को बदलावों कि सोच बदलाव सुनाती है तरानों को अरमानों कि पुकार आस दिलाती है।

इशारों कि सौगात से अंदाजों संग लहर जगाती है आवाजों को खयालों कि सरगम अल्फाज सुनाती है कदमों को उजालों कि सुबह आस दिलाती है।

इशारों कि सौगात से तरानों संग किनारा जगाती है कदमों को अंदाजों कि परख कोशिश सुनाती है खयालों को उम्मीदों कि पहचान आस दिलाती है।

इशारों कि सौगात से कदमों संग अफसाना जगाती है किनारों को सपनों कि अदा पुकार सुनाती है दिशाओं को बदलावों कि सोच आस दिलाती है।

इशारों कि सौगात से किनारों संग अंदाज जगाती है तरानों को आवाजों कि धून खयाल सुनाती है लम्हों को अरमानों कि मुस्कान आस दिलाती है।

इशारों कि सौगात से अफसानों संग अरमान जगाती है दिशाओं को कदमों कि आहट पहचान सुनाती है लहरों को खयालों कि समझ आस दिलाती है।

इशारों कि सौगात से अदाओं संग परख जगाती है उम्मीदों को किनारों कि मुस्कान सरगम सुनाती है इरादों को नजारों कि आहट आस दिलाती है।

इशारों कि सौगात से राहों संग आवाज जगाती है उमंग को अंदाजों कि परख एहसास सुनाती है अरमानों को आशाओं कि राह आस दिलाती है।

इशारों कि सौगात से खयालों संग मुस्कान जगाती है जज्बातों को अरमानों कि सुबह कोशिश सुनाती है लम्हों को किनारों कि सरगम आस दिलाती है।

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