Tuesday 7 February 2023

कविता. ४७१०. उमंग को कदमों कि।

                                          उमंग को कदमों कि।

उमंग को कदमों कि आहट अल्फाज देती है किनारों को सपनों कि आस सुबह देकर जाती है अंदाजों को बदलावों कि सोच अहमियत दिलाती है।

उमंग को कदमों कि आस सरगम देती है तरानों को उम्मीदों कि मुस्कान दास्तान देकर जाती है लहरों को नजारों कि पहचान अहमियत दिलाती है।

उमंग को कदमों कि राह सुबह देती है खयालों को अंदाजों कि परख रोशनी देकर जाती है लम्हों को अफसानों कि कोशिश अहमियत दिलाती है।

उमंग को कदमों कि कोशिश सुबह देती है सपनों को एहसासों कि समझ सपना देकर जाती है अदाओं को आवाजों कि धून अहमियत दिलाती है।

उमंग को कदमों कि सोच अंदाज देती है जज्बातों को आशाओं कि सरगम किनारा देकर जाती है तरानों को उम्मीदों कि सौगात अहमियत दिलाती है।

उमंग को कदमों कि अदा अरमान देती है नजारों को दिशाओं कि समझ आस देकर जाती है अंदाजों को जज्बातों कि आवाज अहमियत दिलाती है।

उमंग को कदमों कि लहर सौगात देती है उजालों को सपनों कि सोच तलाश देकर जाती है अल्फाजों को किनारों कि आहट अहमियत दिलाती है।

उमंग को कदमों कि रोशनी खयाल देती है तरानों को अरमानों कि सुबह मुस्कान देकर जाती है नजारों को आशाओं कि सरगम अहमियत दिलाती है।

उमंग को कदमों कि परख रोशनी देती है अंदाजों को उजालों कि पुकार तराना देकर जाती है इशारों को लम्हों कि परख अहमियत दिलाती है।

उमंग को कदमों कि राह अरमान देती है आशाओं को अदाओं कि तलाश खयाल देकर जाती है अंदाजों को आवाजों कि धून अहमियत दिलाती है।

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