Friday, 21 November 2025

कविता. ५६९८. इशारों की पुकार से।

                               इशारों की पुकार‌ से।

इशारों की पुकार से अलगसा एहसास दिलाती है कदमों को लहरों की कहानी आवाज सुनाती है आशाओं की रोशनी दिलाती है।

इशारों की पुकार से अलगसा किनारा दिलाती है अदाओं को एहसासों की सोच अरमान सुनाती है धाराओं की रोशनी दिलाती है।

इशारों की पुकार से अलगसा उम्मीद दिलाती है दास्तानों को किनारों की समझ अंदाज सुनाती है नजारों की रोशनी दिलाती है।

इशारों की पुकार से अलगसा आस दिलाती है राहों को अरमानों की सरगम अरमान सुनाती है दिशाओं की रोशनी दिलाती है।

इशारों की पुकार से अलगसा कोशिश दिलाती है दास्तानों को जज्बातों की परख खयाल‌ सुनाती है अफसानों की रोशनी दिलाती है।

इशारों की पुकार से अलगसा बदलाव दिलाती है आवाजों को इरादों की सौगात सपना सुनाती है जज्बातों की रोशनी दिलाती है।

इशारों की पुकार से अलगसा उमंग दिलाती है खयालों को दिशाओं की महफिल पहचान सुनाती है अदाओं की रोशनी दिलाती है।

इशारों की पुकार से अलगसा सपना दिलाती है अफसानों को कदमों की कोशिश मुस्कान सुनाती है तरानों की रोशनी दिलाती है।

इशारों की पुकार से अलगसा तलाश दिलाती है अरमानों को लम्हों की परख अहमियत सुनाती है बदलावों की रोशनी दिलाती है।

इशारों की पुकार से अलगसा उजाला दिलाती है सपनों को अंदाजों की सुबह आवाज सुनाती है उम्मीदों की रोशनी दिलाती है।

No comments:

Post a Comment

कविता. ५६९९. आशाओं संग किनारों पर।

                        आशाओं संग किनारों पर। आशाओं संग किनारों पर सपनों की आहट एहसास दिलाती है इरादों को एहसासों की कोशिश उमंग सुनाकर जाती ...