Wednesday, 26 November 2025

कविता. ५७०३. उजालों की पहचान संग।

                             उजालों की पहचान संग।

उजालों की पहचान संग आशाओं की लहर इशारा दिलाती है कदमों को जज्बातों की सुबह अरमानों का सपना दिलाती है।

उजालों की पहचान संग दास्तानों की सोच खयाल‌ दिलाती है किनारों को अंदाजों की पुकार अल्फाजों का सपना दिलाती है।

उजालों की पहचान संग तरानों की परख कोशिश दिलाती है एहसासों को उम्मीदों की आहट राहों का सपना दिलाती है।

उजालों की पहचान संग दिशाओं की महफिल रोशनी दिलाती है आवाजों को धाराओं की समझ इशारों का सपना दिलाती है।

उजालों की पहचान संग राहों की अहमियत रोशनी दिलाती है नजारों को दिशाओं की सरगम कदमों का सपना दिलाती है।

उजालों की पहचान संग लम्हों की कहानी उमंग दिलाती है दास्तानों को अफसानों की सोच दिशाओं का सपना दिलाती है।

उजालों की पहचान संग खयालों की सरगम तलाश दिलाती है आशाओं को अंदाजों की पुकार आवाजों का सपना दिलाती है।

उजालों की पहचान संग नजारों की कोशिश आस दिलाती है उम्मीदों को एहसासों की पहचान आशाओं का सपना दिलाती है।

उजालों की पहचान संग अल्फाजों की दुनिया सहारा दिलाती है इशारों को बदलावों की आहट एहसासों का सपना दिलाती है।

उजालों की पहचान संग कदमों की समझ उम्मीद दिलाती है अदाओं को आशाओं की सरगम किनारों का सपना दिलाती है।


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