Friday, 28 November 2025

कविता. ५७०५. उम्मीद को अरमानों की।

                          उम्मीद को अरमानों की।

उम्मीद को अरमानों की सोच अफसाना सुनाती है लम्हों को खयालों की सरगम तलाश दिलाती है उजालों को सपना दिलाती है।

उम्मीद को अरमानों की सुबह कोशिश सुनाती है तरानों को बदलावों की परख खयाल दिलाती है जज्बातों को सपना दिलाती है।

उम्मीद को अरमानों की उमंग पहचान सुनाती है दिशाओं को लहरों की कहानी मुस्कान दिलाती है इशारों को सपना दिलाती है।

उम्मीद को अरमानों की सौगात आवाज सुनाती है इशारों को उजालों की सुबह बदलाव दिलाती है आशाओं को सपना दिलाती है।

उम्मीद को अरमानों की पुकार दास्तान सुनाती है खयालों को नजारों की आस इरादा दिलाती है धाराओं को सपना दिलाती है।

उम्मीद को अरमानों की उमंग तलाश सुनाती है अंदाजों को एहसासों की रोशनी तराना दिलाती है कदमों को सपना दिलाती है।

उम्मीद को अरमानों की समझ सरगम सुनाती है किनारों को जज्बातों की परख जज्बात दिलाती है दास्तानों को सपना दिलाती है।

उम्मीद को अरमानों की आस बदलाव सुनाती है अफसानों को आशाओं की महफिल सुबह दिलाती है राहों को सपना दिलाती है।

उम्मीद को अरमानों की सौगात किनारा सुनाती है दिशाओं को लम्हों की कहानी खयाल दिलाती है अल्फाजों को सपना दिलाती है।

उम्मीद को अरमानों की महफिल नजारा दिलाती है आशाओं को आवाजों की धून पहचान दिलाती है दास्तानों को सपना दिलाती है।

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