Sunday, 9 November 2025

कविता. ५६८६. खयालों की‌ सरगम संग।

                         खयालों की सरगम संग।

खयालों की सरगम संग आशाओं को पहचान सुनाती है इरादों को एहसासों की सौगात तलाश सुनाती है अदाओं की लहर सुनाती है।

खयालों की सरगम संग अंदाजों को सुबह सुनाती है अफसानों को सपनों की आहट नजारा सुनाती है राहों की लहर सुनाती है।

खयालों की सरगम संग उजालों को आवाज सुनाती है दिशाओं को दास्तानों की समझ एहसास सुनाती है धाराओं की लहर सुनाती है।

खयालों की सरगम संग लम्हों को अल्फाज सुनाती है उम्मीदों को तरानों की कोशिश उमंग सुनाती है आशाओं की लहर सुनाती है।

खयालों की सरगम संग एहसासों को समझ सुनाती है अंदाजों को नजारों की परख मुस्कान सुनाती है किनारों की लहर सुनाती है।

खयालों की सरगम संग राहों को बदलाव सुनाती है जज्बातों को कदमों की सोच उमंग सुनाती है बदलावों की लहर सुनाती है।

खयालों की सरगम संग उम्मीदों को अरमान सुनाती है आवाजों को धाराओं की आस सपना सुनाती है इशारों की लहर सुनाती है।

खयालों की सरगम संग दिशाओं को मुस्कान सुनाती है बदलावों को अल्फाजों की दुनिया पुकार सुनाती है जज्बातों की लहर सुनाती है।

खयालों की सरगम संग किनारों को अदा सुनाती है इशारों को उम्मीदों की सुबह अहमियत सुनाती है दास्तानों की लहर‌ सुनाती है।

खयालों की सरगम संग नजारों को कोशिश सुनाती है दास्तानों को अफसानों की सोच मुस्कान सुनाती है उजालों की लहर सुनाती है।

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