Saturday, 1 November 2025

कविता. ५६७८. अदा सुनाता है।

                             अदा सुनाता है।

लम्हों का इशारा पुकार सुनाता है आशाओं की महफिल संग अरमानों को कोशिश दिलाता है किनारों को कदमों की अदा सुनाता है।

लम्हों का खयाल सपना सुनाता है किनारों की अहमियत संग आशाओं को अंदाज दिलाता है एहसासों को उजालों की अदा सुनाता है।

लम्हों का तराना सरगम दिलाता है दिशाओं की समझ संग‌ राहों को अफसाना दिलाता है आवाजों को धाराओं की अदा सुनाता है।

लम्हों का इरादा कोशिश दिलाता है नजारों की आहट संग जज्बातों को पुकार दिलाता है अंदाजों को सपनों की अदा सुनाता है।

लम्हों का अल्फाज अरमान दिलाता है उजालों की सुबह संग खयालों को आवाज दिलाता है कदमों को आशाओं की अदा सुनाता है।

लम्हों का उजाला सुबह दिलाता है तरानों की आस संग आशाओं को बदलाव दिलाता है इशारों को उम्मीदों की अदा सुनाता है।

लम्हों का किनारा जज्बात दिलाता है अफसानों की सोच संग इरादों को उमंग दिलाता है जज्बातों को दिशाओं की अदा सुनाता है।

लम्हों का अफसाना उमंग दिलाता है राहों की रोशनी संग अंदाजों को तलाश दिलाता है अरमानों को राहों की अदा सुनाता है।

लम्हों का सहारा परख सुनाता है आवाजों की धून संग अफसानों को कोशिश दिलाता है एहसासों को दास्तानों की अदा सुनाता है।

लम्हों का नजारा बदलाव सुनाता है राहों की कहानी संग कदमों को आहट दिलाता है आशाओं को खयालों की अदा सुनाता है।

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