Tuesday 9 August 2016

कविता. ८५५. किसी अंदाज को समझकर।

                                         किसी अंदाज को समझकर।
किसी आवाज को समझकर जो दुनिया मे जी पाता है उस इन्सान को जीवन कि धारा को समझकर जीने कि जरुरत हर पल मे रहती है।
किसी धारा को पानी कि समझ लेने कि जरुरत हर बार रहती है जो पानी कि जरुरत को समझकर आगे बढती है जीवन कि जरुरत बनती है।
किसी आवाज मे जब उम्मीदे होती है उन उम्मीदों के संग ही हमारी दिशाए बनती है जो जीवन को आगे लेकर चलती रहती है जो दुनिया कि दिशाए बदलती है।
किसी किरण के संग जीवन कि हकिकत बनती है जो जीवन को कई तरह कि खुशियाँ देकर चलती है नई कि रफ्तार को हर बार समझ लेती है।
किसी अंदाज मे जब हमे समझ लेने कि ताकद होती है तो उस अंदाज को परख लेने कि ही तो जीवन को जरुरत होती है जो जीवन को आगे लेकर चलती है।
किसी लहर को समझ लेना ही तो जीवन को कई किनारों कि सोच होती है पर लहरों के संग जीने से ज्यादा उन्हे परख लेने कि जरुरत ही हमे अक्सर रहती है।
किसी धारा को समझ लेने ही तो जीवन कि कहानी कि जरुरत होती है जो जीवन कि कहानी का एहसास हर बार बदलती है जो दिशाए बदलती है।
किसी अंदाज को जीवन मे जुदा रखने कि जरुरत हर पल होती है जो हमे  अलग मतलब हर बार सिखाती रहती है जो जीवन को अलग बदलाव हर बार देती है।
किसी धारा के संग जाने कि हर बार जरुरत नही होती है कभी कभी धारा को समझ लिये बिना भी हमारी दुनिया बदलती है हमे खुशियाँ देने कि ताकद हर बार होती है।
किसी किरण मे जीवन को जिन्दा रखने कि जरुरत हर बार होती है क्योंकि जीवन कि कहानी कई किस्सों के संग हर पल और हर बार बनती रहती है।

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