Tuesday 10 January 2023

कविता. ४६८२. आवाज कि पुकार से।

                                आवाज कि पुकार से।

आवाज कि पुकार से सपनों कि लहर अल्फाज दिलाती है कदमों कि सोच संग नजारों कि सौगात खयाल सुनाती है बदलावों कि कोशिश देती है।

आवाज कि पुकार से दिशाओं कि समझ अरमान दिलाती है उजालों कि पहचान संग राहों कि सोच बदलाव सुनाती है अंदाजों कि कोशिश देती है।

आवाज कि पुकार से दास्तानों कि परख सुबह दिलाती है जज्बातों कि मुस्कान संग तरानों कि पहचान इशारा सुनाती है अदाओं कि कोशिश देती है।

आवाज कि पुकार से आशाओं कि सरगम आस दिलाती है लम्हों कि रोशनी संग एहसासों कि समझ अल्फाज सुनाती है लहरों कि कोशिश देती है।

आवाज कि पुकार से राहों कि सौगात अफसाना दिलाती है दास्तानों कि परख संग खयालों कि मुस्कान पहचान सुनाती है आशाओं कि कोशिश देती है।

आवाज कि पुकार से बदलावों कि सोच आस दिलाती है अंदाजों कि अदा संग दास्तानों कि राह अहमियत सुनाती है तरानों कि कोशिश देती है।

आवाज कि पुकार से लहरों कि समझ किनारा दिलाती है नजारों कि सोच संग अरमानों कि पुकार अल्फाज सुनाती है सपनों कि कोशिश देती है।

आवाज कि पुकार से अंदाजों कि परख रोशनी दिलाती है लम्हों कि पहचान संग उजालों कि आस बदलाव सुनाती है अरमानों कि कोशिश देती है।

आवाज कि पुकार से तरानों कि सौगात आस दिलाती है बदलावों कि सौगात संग अल्फाजों कि तलाश खयाल सुनाती है दास्तानों कि कोशिश देती है।

आवाज कि पुकार से नजारों कि सुबह तराना दिलाती है लहरों कि सरगम संग सपनों कि अफसाना इरादा सुनाती है उजालों कि कोशिश देती है।

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