Tuesday 24 January 2023

कविता. ४६९६. अदाओं कि पुकार जुडकर।

                                अदाओं कि पुकार जुडकर।

अदाओं कि पुकार जुडकर इशारा देती है कदमों को नजारों कि सरगम सहारा देती है जज्बातों कि मुस्कान अक्सर उम्मीदों कि लहर देती है।

अदाओं कि पुकार जुडकर सुबह देती है किनारों को सपनों कि आस एहसास देती है बदलावों कि राह अक्सर उजालों कि लहर देती है।

अदाओं कि पुकार जुडकर आवाज देती है दास्तानों को तरानों कि राह कोशिश देती है नजारों कि पहचान अक्सर आवाजों कि लहर देती है।

अदाओं कि पुकार जुडकर तलाश देती है दिशाओं को बदलावों कि सोच खयाल देती है आशाओं कि सरगम अक्सर उम्मीदों कि लहर देती है।

अदाओं कि पुकार जुडकर कोशिश देती है लम्हों को खयालों कि मुस्कान अरमान देती है किनारों कि सोच अक्सर इशारों कि लहर देती है।

अदाओं कि पुकार जुडकर अंदाज देती है एहसासों को दिशाओं कि कहानी पहचान देती है कदमों कि आहट अक्सर सपनों कि लहर देती है।

अदाओं कि पुकार जुडकर आस देती है जज्बातों को आशाओं कि तलाश उमंग देती है अफसानों कि समझ अक्सर तरानों कि लहर देती है।

अदाओं कि पुकार जुडकर रोशनी देती है नजारों को राहों कि मुस्कान कोशिश देती है एहसासों कि सौगात अक्सर इरादों कि लहर देती है।

अदाओं कि पुकार जुडकर सपना देती है अल्फाजों को तरानों कि सुबह आवाज देती है नजारों कि आहट अक्सर खयालों कि लहर देती है।

अदाओं कि पुकार जुडकर कोशिश देती है आशाओं को उम्मीदों कि समझ सपना देती है दास्तानों कि परख अक्सर लम्हों कि लहर देती है।

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