Tuesday 3 January 2023

कविता. ४६७५. खयालों कि मुस्कान से।

                                       खयालों कि मुस्कान से।

खयालों कि मुस्कान से बदलावों कि तलाश अंदाज सुनाती है तरानों को अरमानों कि सुबह जगाती है लम्हों कि आस सपना सुनाती है।

खयालों कि मुस्कान से किनारों कि सुबह राह सुनाती है आवाजों को अदाओं कि परख जगाती है लहरों कि राह सपना सुनाती है।

खयालों कि मुस्कान से जज्बातों कि समझ कोशिश सुनाती है कदमों को आवाजों कि धून जगाती है दास्तानों कि पुकार सपना सुनाती है।

खयालों कि मुस्कान से दास्तानों कि परख आस सुनाती है दिशाओं को कदमों कि आहट जगाती है नजारों कि समझ सपना सुनाती है।

खयालों कि मुस्कान से तरानों कि अफसाना पुकार सुनाती है लम्हों को किनारों कि अहमियत जगाती है इशारों कि रोशनी सपना सुनाती है।

खयालों कि मुस्कान से आशाओं कि आवाज सोच सुनाती है नजारों को दिशाओं कि आस जगाती है किनारों कि सोच सपना सुनाती है।

खयालों कि मुस्कान से अंदाजों कि उमंग तलाश सुनाती है लम्हों को बदलावों कि पहचान जगाती है उजालों कि सरगम सपना सुनाती है।

खयालों कि मुस्कान से दिशाओं कि समझ इरादा सुनाती है नजारों को राहों कि कोशिश जगाती है तरानों कि आवाज सपना सुनाती है।

खयालों कि मुस्कान से उम्मीदों कि पुकार कोशिश सुनाती है अल्फाजों को उजालों कि समझ जगाती है कदमों कि आहट सपना सुनाती है।

खयालों कि मुस्कान से इशारों कि रोशनी एहसास सुनाती है तरानों को अरमानों कि लहर जगाती है आवाजों कि धून सपना सुनाती है।

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