Sunday 1 January 2023

कविता. ४६७३. उजाले को आशाओं कि!

                                 उजाले को आशाओं कि।

उजाले को आशाओं कि सरगम दिशाएं देती है नजारों कि पहचान से आवाजों कि आस पुकार देती है लहरों कि सुबह एहसास दिलाती है।

उजाले को आशाओं कि कोशिश सहारा देती है अरमानों कि सौगात से दास्तानों कि तलाश इशारा देती है जज्बातों कि सोच एहसास दिलाती है।

उजाले को आशाओं कि आस पहचान देती है तरानों कि आहट से अफसानों कि समझ सपना देती है किनारों कि मुस्कान एहसास दिलाती है।

उजाले को आशाओं कि राह खयाल देती है कदमों कि राह से उम्मीदों कि सरगम अदा देती है अल्फाजों कि आवाज एहसास दिलाती है।

उजाले को आशाओं कि सोच आवाज देती है अंदाजों कि परख से बदलावों कि कोशिश उमंग देती है अफसानों कि रोशनी एहसास दिलाती है।

उजाले को आशाओं कि उम्मीद मुस्कान देती है आवाजों कि धून से नजारों कि पहचान इरादा देती है खयालों कि समझ एहसास दिलाती है।

उजाले को आशाओं कि सरगम इरादा देती है जज्बातों कि सोच से दिशाओं कि कहानी कोशिश देती है अदाओं कि सौगात एहसास दिलाती है।

उजाले को आशाओं कि तलाश किनारा देती है नजारों कि सौगात से इशारों कि रोशनी आस देती है कदमों कि पहचान एहसास दिलाती है।

उजाले को आशाओं कि राह अरमान देती है जज्बातों कि समझ से बदलावों कि सोच आवाज देती है अंदाजों कि आस एहसास दिलाती है।

उजाले को आशाओं कि परख रोशनी देती है इरादों कि सौगात से अल्फाजों कि कहानी अरमान देती है नजारों कि परख एहसास दिलाती है।

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