Saturday, 7 January 2023

कविता. ४६७९. खयालों कि राह से।

                                        खयालों कि राह से।

खयालों कि राह से जुड़कर आस किनारा दिलाती है कदमों कि आहट पर आशाओं कि सरगम इशारा सुनाती है लम्हों को दास्तानों कि धारा दिलाती है।

खयालों कि राह से जुड़कर तलाश कोशिश दिलाती है नजारों कि सोच पर अरमानों कि आस एहसास सुनाती है इशारों को लम्हों कि धारा दिलाती है।

खयालों कि राह से जुड़कर मुस्कान अरमान दिलाती है लहरों कि सरगम पर आवाजों कि धून राह सुनाती है किनारों को सपनों कि धारा दिलाती है।

खयालों कि राह से जुड़कर आवाज सौगात दिलाती है तरानों कि सुबह पर अंदाजों कि परख दास्तान सुनाती है कदमों को अदाओं कि धारा दिलाती है।

खयालों कि राह से जुड़कर रोशनी तलाश दिलाती है उजालों कि तलाश पर किनारों कि पुकार उमंग सुनाती है तरानों को अरमानों कि धारा दिलाती है।

खयालों कि राह से जुड़कर सरगम दास्तान दिलाती है जज्बातों कि समझ पर एहसासों कि रोशनी आस सुनाती है दिशाओं को कदमों कि धारा दिलाती है।

खयालों कि राह से जुड़कर रोशनी पहचान दिलाती है लहरों कि सरगम पर अल्फाजों कि सौगात तलाश सुनाती है लम्हों को दास्तानों कि धारा दिलाती है।

खयालों कि राह से जुड़कर सुबह इरादा दिलाती है कदमों कि आहट पर आशाओं कि सरगम कोशिश सुनाती है नजारों को अंदाजों कि धारा दिलाती है।

खयालों कि राह से जुड़कर एहसास बदलाव दिलाती है इशारों कि पुकार पर उजालों कि परख अदा सुनाती है दिशाओं को किनारों कि धारा दिलाती है।

खयालों कि राह से जुड़कर पहचान सपना दिलाती है आशाओं कि तलाश पर किनारों कि सोच उमंग सुनाती है लहरों को नजारों कि धारा दिलाती है।

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