Saturday 21 January 2023

कविता. ४६९३. आशाओं कि सरगम से।

                                        आशाओं कि सरगम से।

आशाओं कि सरगम से खयालों संग जुड़कर रोशनी इरादा दिलाती है लम्हों को कदमों कि सोच पहचान देकर जाती है जज्बातों कि मुस्कान देती है।

आशाओं कि सरगम से अंदाजों संग जुड़कर कोशिश सहारा दिलाती है नजारों को राहों कि परख अरमान देकर जाती है दिशाओं कि मुस्कान देती है।

आशाओं कि सरगम से दास्तानों संग जुड़कर आस किनारा दिलाती है लहरों को इशारों कि सौगात बदलाव देकर जाती है आवाजों कि मुस्कान देती है।

आशाओं कि सरगम से नजारों संग जुड़कर राह परख दिलाती है अरमानों को एहसासों कि सुबह अल्फाज देकर जाती है अंदाजों कि मुस्कान देती है।

आशाओं कि सरगम से अल्फाजों संग जुड़कर सोच तलाश दिलाती है खयालों को उम्मीदों कि लहर पुकार देकर जाती है तरानों कि मुस्कान देती है।

आशाओं कि सरगम से राहों संग जुड़कर सुबह दास्तान दिलाती है जज्बातों को अंदाजों कि पहचान अहमियत देकर जाती है इशारों कि मुस्कान देती है।

आशाओं कि सरगम से अरमानों संग जुड़कर उमंग रोशनी दिलाती है नजारों को दिशाओं कि समझ सपना देकर जाती है बदलावों कि मुस्कान देती है।

आशाओं कि सरगम से जज्बातों संग जुड़कर आस तलाश दिलाती है इरादों को नजारों कि सोच अरमान देकर जाती है दास्तानों कि मुस्कान देती है।

आशाओं कि सरगम से अदाओं संग जुड़कर राह एहसास दिलाती है दास्तानों को लम्हों कि पुकार सहारा देकर जाती है खयालों कि मुस्कान देती है।

आशाओं कि सरगम से सपनों संग जुड़कर आवाज सौगात दिलाती है अंदाजों को बदलावों कि कोशिश परख देकर जाती है अल्फाजों कि मुस्कान देती है।

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