Friday 27 January 2023

कविता. ४६९९. एहसास कोई उमंग कि।

                                      एहसास कोई उमंग कि।

एहसास कोई उमंग कि कहानी बन पाता है आशाओं कि सरगम संग सपनों कि पहचान दिलाता है लम्हों को खयालों कि समझ देकर आगे जाता है।

एहसास कोई उमंग कि निशानी बन पाता है लम्हों कि राह संग आशाओं कि तलाश दिलाता है लहरों को इशारों कि सोच देकर आगे जाता है।

एहसास कोई उमंग कि सोच बन पाता है जज्बातों कि मुस्कान संग तरानों कि सुबह दिलाता है कदमों को अफसानों कि लहर देकर आगे जाता है।

एहसास कोई उमंग कि सौगात बन पाता है इशारों कि सरगम संग आवाजों कि धून दिलाता है किनारों को अल्फाजों कि सोच देकर आगे जाता है।

एहसास कोई उमंग कि परख बन पाता है लहरों कि कोशिश संग अंदाजों कि पुकार दिलाता है अंदाजों को बदलावों कि रोशनी देकर आगे जाता है।

एहसास कोई उमंग कि सरगम बन पाता है अरमानों कि सुबह संग तरानों कि सोच दिलाता है इशारों को दास्तानों कि पहचान देकर आगे जाता है।

एहसास कोई उमंग कि मुस्कान बन पाता है अदाओं कि परख संग बदलावों कि कोशिश दिलाता है आवाजों को किनारों कि आहट देकर आगे जाता है।

एहसास कोई उमंग कि रोशनी बन पाता है अल्फाजों कि राह संग आशाओं कि खयाल दिलाता है तरानों को उजालों कि पुकार देकर आगे जाता है।

एहसास कोई उमंग कि कोशिश बन पाता है तरानों कि सुबह संग दास्तानों कि परख दिलाता है नजारों को दिशाओं कि सौगात देकर आगे जाता है।

एहसास कोई उमंग कि तलाश बन पाता है इशारों कि समझ संग बदलावों कि सौगात दिलाता है लहरों को अरमानों कि सोच देकर आगे जाता है।

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