Friday, 6 January 2023

कविता. ४६७८. इशारों कि सौगात से।

                                         इशारों कि सौगात से।

इशारों कि सौगात से दास्तानों कि समझ एहसास सुनाती है उम्मीदों कि सोच अक्सर दिशाओं कि तलाश संग कहानी दिलाकर आगे जाती है।

इशारों कि सौगात से अरमानों कि सुबह कोशिश सुनाती है लम्हों कि पुकार अक्सर अल्फाजों कि मुस्कान संग खयाल दिलाकर आगे जाती है।

इशारों कि सौगात से नजारों कि सोच तराना सुनाती है आवाजों कि धून अक्सर एहसासों कि रोशनी संग अफसाना दिलाकर आगे जाती है।

इशारों कि सौगात से जज्बातों कि रोशनी दास्तान सुनाती है अदाओं कि परख अक्सर उजालों कि सुबह संग कदम दिलाकर आगे जाती है।

इशारों कि सौगात से अंदाजों कि आस सरगम सुनाती है आवाजों कि लहर अक्सर आशाओं कि पुकार संग सुबह दिलाकर आगे जाती है।

इशारों कि सौगात से कदमों कि आहट सपना सुनाती है लम्हों कि पुकार अक्सर दिशाओं कि कहानी संग बदलाव दिलाकर आगे जाती है।

इशारों कि सौगात से किनारों कि मुस्कान अरमान सुनाती है इरादों कि राह अक्सर नजारों कि सोच संग पहचान दिलाकर आगे जाती है।

इशारों कि सौगात से अल्फाजों कि सुबह खयाल सुनाती है तरानों कि मुस्कान अक्सर आवाजों कि धून संग कोशिश दिलाकर आगे जाती है।

इशारों कि सौगात से नजारों कि सोच अफसाना सुनाती है लहरों कि सुबह अक्सर दास्तानों कि परख संग पुकार दिलाकर आगे जाती है।

इशारों कि सौगात से खयालों कि राह कोशिश सुनाती है किनारों कि सोच अक्सर उम्मीदों कि पहचान संग तलाश दिलाकर आगे जाती है।

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