Thursday 19 January 2023

कविता. ४६९१. राहों से मिलकर कोई नन्ही सी।

                             राहों से मिलकर कोई नन्ही सी।

राहों से मिलकर कोई नन्ही सी सरगम एक उजाला देती है आसमान कि पुकार इशारा देती है सपनों को एहसासों कि रोशनी धारा देती है।

राहों से मिलकर कोई नन्ही सी तलाश एक नजारा देती है लम्हों कि पहचान कोशिश देती है कदमों को उजालों कि सुबह धारा देती है।

राहों से मिलकर कोई नन्ही सी सोच एक तराना देती है दास्तानों कि परख सहारा देती है नजारों को दिशाओं कि कहानी धारा देती है।

राहों से मिलकर कोई नन्ही सी सुबह एक खयाल देती है कदमों कि आहट अफसाना देती है जज्बातों को अरमानों कि सौगात धारा देती है।

राहों से मिलकर कोई नन्ही सी पुकार एक परख देती है उजालों कि आस एहसास देती है बदलावों को दिशाओं कि अहमियत धारा देती है।

राहों से मिलकर कोई नन्ही सी सौगात एक तलाश देती है उम्मीदों कि समझ मुस्कान देती है तरानों को खयालों कि उमंग धारा देती है।

राहों से मिलकर कोई नन्ही सी आस एक अल्फाज देती है किनारों कि आहट तलाश देती है आवाजों को बदलावों कि कोशिश धारा देती है।

राहों से मिलकर कोई नन्ही सी सरगम एक उमंग देती है अल्फाजों कि सोच अदा देती है नजारों को अंदाजों कि पुकार धारा देती है।

राहों से मिलकर कोई नन्ही सी आहट एक सपना देती है नजारों कि पहचान आवाज देती है कदमों को एहसासों कि रोशनी धारा देती है।

राहों से मिलकर कोई नन्ही सी पहचान एक किनारा  देती है अंदाजों कि परख रोशनी देती है खयालों को आशाओं कि तलाश धारा देती है।


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