Thursday 26 January 2023

कविता. ४६९८. किनारों को सपनों कि।

                                  किनारों को सपनों कि।

किनारों को सपनों कि लहर कोशिश दिलाती है जज्बातों को कदमों कि आहट पहचान सुनाती है अदाओं को तरानों कि सुबह दास्तान दिलाती है।

किनारों को सपनों कि आस अफसाना दिलाती है लम्हों को इशारों कि सौगात कोशिश सुनाती है इरादों को आशाओं कि सरगम दास्तान दिलाती है।

किनारों को सपनों कि राह खयाल दिलाती है लहरों को नजारों कि सोच अरमान सुनाती है एहसासों को उम्मीदों कि समझ दास्तान दिलाती है।

किनारों को सपनों कि सौगात आवाज दिलाती है जज्बातों को कदमों कि आहट आस सुनाती है लहरों को नजारों कि सोच दास्तान दिलाती है।

किनारों को सपनों कि कोशिश अल्फाज दिलाती है दिशाओं को उजालों कि पुकार राह सुनाती है अंदाजों को बदलावों कि सुबह दास्तान दिलाती है।

किनारों को सपनों कि सोच बदलाव दिलाती है इशारों को लम्हों कि रोशनी अरमान सुनाती है अफसानों को कदमों कि सोच दास्तान दिलाती है।

किनारों को सपनों कि रोशनी मुस्कान दिलाती है आशाओं को खयालों कि लहर आवाज सुनाती है लम्हों को अल्फाजों कि सौगात दास्तान दिलाती है।

किनारों को सपनों कि समझ सहारा दिलाती है लम्हों को इरादों कि कोशिश बदलाव सुनाती है तरानों को उम्मीदों कि तलाश दास्तान दिलाती है।

किनारों को सपनों कि आस पुकार दिलाती है कदमों को अदाओं कि पुकार कोशिश सुनाती है आवाजों को खयालों कि समझ दास्तान दिलाती है।

किनारों को सपनों कि परख इशारा दिलाती है उजालों को आशाओं कि सरगम पहचान सुनाती है अंदाजों को इशारों कि राह दास्तान दिलाती है।


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