Sunday 15 January 2023

कविता. ४६८७. उमंग को कदमों कि।

                                         उमंग को कदमों कि।

उमंग को कदमों कि सोच एहसास दिलाती है लहरों कि सरगम से खयालों कि तलाश सहारा देती है किनारों को सपनों कि कोशिश सुनाती है।

उमंग को कदमों कि आस अल्फाज दिलाती है लम्हों कि पुकार से आवाजों कि धून जज्बात देती है राहों को अंदाजों कि कोशिश सुनाती है।

उमंग को कदमों कि परख रोशनी दिलाती है तरानों कि सुबह से सपनों कि सौगात इशारा देती है अफसानों को अल्फाजों कि कोशिश सुनाती है।

उमंग को कदमों कि राह अरमान दिलाती है नजारों कि सोच से एहसासों कि समझ सपना देती है तरानों को उजालों कि कोशिश सुनाती है।

उमंग को कदमों कि आवाज तलाश दिलाती है बदलावों कि पुकार से आशाओं कि सरगम परख देती है अदाओं को दिशाओं कि कोशिश सुनाती है।

उमंग को कदमों कि सरगम अहमियत दिलाती है खयालों कि समझ से अंदाजों कि रोशनी लहर देती है आशाओं को बदलावों कि कोशिश सुनाती है।

उमंग को कदमों कि मुस्कान अदा दिलाती है अंदाजों कि आस से इशारों कि समझ आवाज देती है किनारों को जज्बातों कि कोशिश सुनाती है।

उमंग को कदमों कि सुबह खयाल दिलाती है सपनों कि लहर से अफसानों कि रोशनी बदलाव देती है इशारों को लम्हों कि कोशिश सुनाती है।

उमंग को कदमों कि दास्तान समझ दिलाती है अदाओं कि परख से तरानों कि पहचान इशारा देती है दिशाओं को आशाओं कि कोशिश सुनाती है।

उमंग को कदमों कि तलाश बदलाव दिलाती है लहरों कि सुबह से सपनों कि आस सरगम देती है किनारों को अल्फाजों कि कोशिश सुनाती है।

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