Saturday 28 January 2023

कविता. ४७००. जज्बात को सपनों कि।

                                        जज्बात को सपनों कि।

जज्बात को सपनों कि आस अल्फाज सुनाती है तरानों कि पहचान से लहरों कि सरगम सहारा देती है किनारों को राहों कि धारा देकर जाती है।

जज्बात को सपनों कि पुकार अरमान सुनाती है लम्हों कि आहट से आशाओं कि अहमियत परख देती है अंदाजों को बदलावों कि धारा देकर जाती है।

जज्बात को सपनों कि कोशिश खयाल सुनाती है राहों कि मुस्कान से दास्तानों कि सौगात तलाश देती है कदमों को अदाओं कि धारा देकर जाती है।

जज्बात को सपनों कि सुबह पहचान सुनाती है दिशाओं कि समझ से अफसानों कि रोशनी पुकार देती है उम्मीदों को एहसासों कि धारा देकर जाती है।

जज्बात को सपनों कि आवाज सरगम सुनाती है लहरों कि सुबह से दिशाओं कि कहानी एहसास देती है नजारों को इशारों कि धारा देकर जाती है।

जज्बात को सपनों कि रोशनी किनारा सुनाती है कदमों कि लहर से अफसानों कि समझ सौगात देती है दास्तानों को अदाओं कि धारा देकर जाती है।

जज्बात को सपनों कि परख अल्फाज सुनाती है तरानों कि पुकार से किनारों कि मुस्कान अरमान देती है आशाओं को नजारों कि धारा देकर जाती है।

जज्बात को सपनों कि तलाश अरमान सुनाती है लम्हों कि परख से उजालों कि पुकार अफसाना देती है लहरों को एहसासों कि धारा देकर जाती है।

जज्बात को सपनों कि आस अल्फाज सुनाती है अफसानों कि समझ से राहों कि आहट पहचान देती है खयालों को अरमानों कि धारा देकर जाती है।

जज्बात को सपनों कि लहर एहसास सुनाती है अंदाजों कि आस से किनारों कि मुस्कान आवाज देती है आवाजों को तरानों कि धारा देकर जाती है।

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