Wednesday 12 April 2023

कविता. ४७७४. किनारों को अल्फाजों कि।

                                  किनारों को अल्फाजों कि।

किनारों को अल्फाजों कि आहट तलाश दिलाती है दास्तानों को एहसासों कि पुकार सहारा देती है लम्हों को खयालों कि सुबह धाराएं देती है।

किनारों को अल्फाजों कि कोशिश तराना दिलाती है आवाजों को राहों कि पहचान इशारा देती है कदमों को उजालों कि सरगम धाराएं देती है।

किनारों को अल्फाजों कि सोच एहसास दिलाती है लहरों को नजारों कि सौगात बदलाव देती है जज्बातों को अंदाजों कि आस धाराएं देती है।

किनारों को अल्फाजों कि समझ सपना दिलाती है कदमों को उम्मीदों कि समझ इशारा देती है आशाओं को बदलावों कि सोच धाराएं देती है।

किनारों को अल्फाजों कि मुस्कान सुबह दिलाती है लम्हों को खयालों कि सोच तलाश देती है आवाजों को इशारों कि पहचान धाराएं देती है।

किनारों को अल्फाजों कि सरगम पुकार दिलाती है तरानों को अरमानों कि परख रोशनी देती है अदाओं को दिशाओं कि कहानी धाराएं देती है।

किनारों को अल्फाजों कि सौगात कोशिश दिलाती है आशाओं को अंदाजों कि पुकार आहट देती है सपनों को खयालों कि समझ धाराएं देती है।

किनारों को अल्फाजों कि आस सोच दिलाती है जज्बातों को कदमों कि सोच अहमियत देती है लहरों को अंदाजों कि परख धाराएं देती है।

किनारों को अल्फाजों कि अदा नजारा दिलाती है सपनों को एहसासों कि रोशनी दास्तान देती है कदमों को लम्हों कि पुकार धाराएं देती है।

किनारों को अल्फाजों कि आहट तलाश दिलाती है अदाओं को तरानों कि सुबह कोशिश देती है नजारों को अरमानों कि समझ धाराएं देती है।

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