Wednesday, 26 April 2023

कविता. ४७८८. किनारों को राहों कि।

                                        किनारों को राहों कि।  ‌‌

‌‌किनारों को राहों कि पहचान एहसास देती है दास्तानों को अदाओं कि आहट इशारा देती है कदमों को जज्बातों कि पुकार तलाश कि धारा देती है।

किनारों को राहों कि मुस्कान अरमान देती है तरानों को उम्मीदों कि कोशिश पुकार देती है खयालों को अंदाजों कि सरगम आवाज कि धारा देती है।

किनारों को राहों कि आहट कोशिश देती है उजालों को सपनों कि लहर बदलाव देती है नजारों को दिशाओं कि कहानी आस कि धारा देती है।

किनारों को राहों कि आस दास्तान देती है कदमों को लम्हों कि रोशनी अफसाना देती है एहसासों को खयालों कि मुस्कान आशाओं कि धारा देती है।

किनारों को राहों कि रोशनी तराना देती है उम्मीदों को नजारों कि सोच सौगात देती है आवाजों को अदाओं कि सुबह अरमानों कि धारा देती है।

किनारों को राहों कि परख इरादा देती है बदलावों को दिशाओं कि समझ सपना देती है अरमानों को इशारों कि सौगात अफसानों कि धारा देती है।

किनारों को राहों कि आस अल्फाज देती है जज्बातों को इशारों कि रोशनी उजाला देती है अंदाजों को दास्तानों कि आवाज नजारों कि धारा देती है।

किनारों को राहों कि समझ तलाश देती है अफसानों को नजारों कि पहचान उमंग देती है कदमों को आशाओं कि सरगम इशारों कि धारा देती है।

किनारों को राहों कि अदा सुबह देती है उजालों को सपनों कि कोशिश उम्मीद देती है आवाजों को बदलावों कि सोच खयालों कि धारा देती है।

किनारों को राहों कि आहट एहसास देती है दास्तानों को अदाओं कि पुकार तलाश देती है नजारों को दिशाओं कि कहानी तरानों कि धारा देती है।

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