Saturday 22 April 2023

कविता. ४७८४. सपनों कि आस अक्सर।

                               सपनों कि आस अक्सर।

सपनों कि आस अक्सर लहर दिलाती है लम्हों को खयालों कि कोशिश किनारा देती है अंदाजों कि परख से उजालों कि पुकार अफसाना देती है।

सपनों कि आस अक्सर बदलाव दिलाती है कदमों को नजारों कि समझ तराना देती है किनारों कि मुस्कान से राहों कि समझ अफसाना देती है।

सपनों कि आस अक्सर कोशिश दिलाती है अंदाजों को बदलावों कि सोच परख देती है इशारों कि सौगात से नजारों कि समझ अफसाना देती है।

सपनों कि आस अक्सर दास्तान दिलाती है अदाओं को उम्मीदों कि सौगात तराना देती है अल्फाजों कि कोशिश से कदमों कि आहट अफसाना देती है।

सपनों कि आस अक्सर आवाज दिलाती है लहरों को इशारों कि सोच खयाल देती है अरमानों कि पुकार से दिशाओं कि कहानी अफसाना देती है।

सपनों कि आस अक्सर बदलाव दिलाती है नजारों को खयालों कि समझ तलाश देती है अंदाजों कि आहट से अरमानों कि सुबह अफसाना देती है।

सपनों कि आस अक्सर पहचान दिलाती है किनारों को अंदाजों कि परख रोशनी देती है आवाजों कि धून से एहसासों कि तलाश अफसाना देती है।

सपनों कि आस अक्सर खयाल दिलाती है दास्तानों को एहसासों कि समझ सुबह देती है कदमों कि आहट से आशाओं कि सोच अफसाना देती है।

सपनों कि आस अक्सर आहट दिलाती है खयालों को नजारों कि पहचान सहारा देती है दास्तानों कि सौगात से अल्फाजों कि राह अफसाना देती है।

सपनों कि आस अक्सर पुकार दिलाती है अरमानों को जज्बातों कि पुकार सोच देती है किनारों कि मुस्कान से अदाओं कि समझ अफसाना देती है।


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