Friday, 14 April 2023

कविता. ४७७६. उम्मीदों कि सोच संग।

                                     उम्मीदों कि सोच संग।

उम्मीदों कि सोच संग आशाओं कि तलाश मिलती है अदाओं को तरानों कि पहचान इशारा दिलाती है राहों को अंदाजों कि सुबह देकर जाती है।

उम्मीदों कि सोच संग आवाजों कि सरगम मिलती है नजारों को दिशाओं कि कहानी बदलाव दिलाती है लम्हों को खयालों कि सुबह देकर जाती है।

उम्मीदों कि सोच संग लहरों कि सौगात मिलती है राहों को आशाओं कि परख आहट दिलाती है उजालों को सपनों कि सुबह देकर जाती है।

उम्मीदों कि सोच संग किनारों कि मुस्कान मिलती है जज्बातों को कदमों कि आस पहचान दिलाती है दास्तानों को एहसासों कि सुबह देकर जाती है।

उम्मीदों कि सोच संग कदमों कि आहट मिलती है एहसासों को अदाओं कि पुकार अल्फाज दिलाती है आवाजों को सपनों कि सुबह देकर जाती है।

उम्मीदों कि सोच संग नजारों कि पहचान मिलती है किनारों को अंदाजों कि परख रोशनी दिलाती है लहरों को इशारों कि सुबह देकर जाती है।

उम्मीदों कि सोच संग अंदाजों कि आस मिलती है तरानों को अरमानों कि पुकार किनारा दिलाती है उजालों को बदलावों कि सुबह देकर जाती है।

उम्मीदों कि सोच संग अरमानों कि कोशिश मिलती है कदमों को आशाओं कि लहर बदलाव दिलाती है दास्तानों को एहसासों कि सुबह देकर जाती है।

उम्मीदों कि सोच संग तरानों कि परख मिलती है खयालों को इशारों कि सौगात कोशिश दिलाती है अफसानों को अल्फाजों कि सुबह देकर जाती है।

उम्मीदों कि सोच संग जज्बातों कि मुस्कान मिलती है लहरों को नजारों कि रोशनी तलाश दिलाती है इरादों को एहसासों कि सुबह देकर जाती है। 

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