Tuesday 25 April 2023

कविता. ४७८७. इशारों को दास्तानों से।

                                इशारों को दास्तानों से।

इशारों को दास्तानों से पहचान कोशिश सुनाती है लहरों कि सरगम संग आशाओं कि तलाश दिलाती है कदमों को जज्बातों कि मुस्कान सुबह देती है।

इशारों को दास्तानों से परख अहमियत सुनाती है लम्हों कि पुकार संग किनारों कि आहट दिलाती है तरानों को अरमानों कि परख सुबह देती है।

इशारों को दास्तानों से कहानी अफसाना सुनाती है दिशाओं कि कहानी संग अंदाजों कि आस दिलाती है नजारों को राहों कि कोशिश सुबह देती है।

इशारों को दास्तानों से सौगात खयाल सुनाती है आशाओं कि सोच संग अरमानों कि पुकार दिलाती है आवाजों को अदाओं कि पहचान सुबह देती है।

इशारों को दास्तानों से अरमान कोशिश सुनाती है बदलावों कि सौगात संग सपनों कि राह दिलाती है लम्हों को खयालों कि समझ सुबह देती है।

इशारों को दास्तानों से सोच आस सुनाती है अंदाजों कि परख संग अल्फाजों कि इरादा दिलाती है लहरों को सपनों कि रोशनी सुबह देती है।

इशारों को दास्तानों से आवाज पुकार सुनाती है राहों कि आहट संग कोशिश कि पहचान दिलाती है कदमों को उजालों कि पुकार सुबह देती है।

इशारों को दास्तानों से आहट पहचान सुनाती है नजारों कि सोच संग खयालों कि सपना दिलाती है अंदाजों को बदलावों कि राह सुबह देती है।

इशारों को दास्तानों से तलाश सहारा सुनाती है तरानों कि सरगम संग अदाओं कि पहचान राह दिलाती है किनारों को अल्फाजों कि मुस्कान सुबह देती है।

इशारों को दास्तानों से पुकार अफसाना सुनाती है उजालों कि कोशिश संग आशाओं कि सोच दिलाती है खयालों को एहसासों कि आस सुबह देती है।


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