Sunday, 9 April 2023

कविता. ४७७१. किनारों कि सौगात अक्सर।

                                    किनारों कि सौगात अक्सर।

किनारों कि सौगात अक्सर कोशिश दिलाती है लम्हों को खयालों कि समझ तलाश देकर जाती है जज्बातों कि मुस्कान जुड़कर एहसास दिलाती है।

किनारों कि सौगात अक्सर उमंग दिलाती है तरानों को अरमानों कि सरगम तराना देकर जाती है नजारों कि पहचान जुड़कर उम्मीद दिलाती है।

किनारों कि सौगात अक्सर इरादा दिलाती है कदमों को अदाओं कि परख अल्फाज देकर जाती है बदलावों कि सुबह जुड़कर अहमियत दिलाती है।

किनारों कि सौगात अक्सर आवाज दिलाती है अरमानों को दिशाओं कि आस कहानी देकर जाती है इशारों कि सरगम जुड़कर कोशिश दिलाती है।

किनारों कि सौगात अक्सर दास्तान दिलाती है लहरों को नजारों कि पहचान परख देकर जाती है अफसानों कि समझ जुड़कर खयाल दिलाती है।

किनारों कि सौगात अक्सर पुकार दिलाती है इरादों को आशाओं कि सोच रोशनी देकर जाती है अंदाजों कि आस जुड़कर आहट दिलाती है।

किनारों कि सौगात अक्सर नजारा दिलाती है कदमों को अदाओं कि पुकार सपना देकर जाती है अल्फाजों कि कोशिश जुड़कर राह दिलाती है।

किनारों कि सौगात अक्सर अंदाज दिलाती है उजालों को सपनों कि आस उमंग देकर जाती है इशारों कि सरगम जुड़कर पहचान दिलाती है।

किनारों कि सौगात अक्सर जज्बात दिलाती है दास्तानों को एहसासों कि समझ राह देकर जाती है आवाजों कि धून जुड़कर लहर दिलाती है।

किनारों कि सौगात अक्सर आस दिलाती है खयालों को अंदाजों कि परख तराना देकर जाती है उम्मीदों कि तलाश जुड़कर अरमान दिलाती है।

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