Thursday, 20 April 2023

कविता. ४७८२. उम्मीद किसी इशारे कि।

                                  उम्मीद किसी इशारे कि।

उम्मीद किसी इशारे कि आहट तलाश दिलाती है कदमों को अदाओं कि सौगात अरमान जगाती है किनारों कि मुस्कान अक्सर उमंग दिलाती है।

उम्मीद किसी इशारे कि आस सरगम दिलाती है इरादों को आशाओं कि सरगम सपना जगाती है नजारों कि पहचान अक्सर तराना दिलाती है।

उम्मीद किसी इशारे कि राह बदलाव दिलाती है तरानों को अरमानों कि सुबह दास्तान जगाती है जज्बातों कि रोशनी अक्सर खयाल दिलाती है।

उम्मीद किसी इशारे कि पुकार कोशिश दिलाती है दिशाओं को लहरों कि आवाज सोच जगाती है एहसासों कि पहचान अक्सर परख दिलाती है।

उम्मीद किसी इशारे कि समझ इरादा दिलाती है लम्हों को दास्तानों कि पहचान सहारा जगाती है उजालों कि आस अक्सर किनारा दिलाती है।

उम्मीद किसी इशारे कि रोशनी आवाज दिलाती है लहरों को किनारों कि मुस्कान अफसाना जगाती है जज्बातों कि सोच अक्सर सहारा दिलाती है।

उम्मीद किसी इशारे कि सुबह सरगम दिलाती है आशाओं को बदलावों कि सोच बदलाव जगाती है कदमों कि आहट अक्सर सपना दिलाती है।

उम्मीद किसी इशारे कि परख अरमान दिलाती है अदाओं को एहसासों कि समझ कोशिश जगाती है तरानों कि पहचान अक्सर तलाश दिलाती है।

उम्मीद किसी इशारे कि आस पुकार दिलाती है किनारों को अंदाजों कि परख अल्फाज जगाती है आवाजों कि धून अक्सर आस दिलाती है।

उम्मीद किसी इशारे कि तलाश सौगात दिलाती है जज्बातों को राहों कि पहचान मुस्कान जगाती है अफसानों कि पुकार अक्सर बदलाव दिलाती है।

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