Saturday 8 April 2023

कविता. ४७७०. उजालों कि सरगम से।

                                      उजालों कि सरगम से।

उजालों कि सरगम से आशाओं कि पुकार किनारा देती है कदमों को अदाओं कि सौगात कोशिश सुनाती है इरादों को आवाजों कि धून देकर जाती है।

उजालों कि सरगम से खयालों कि राह एहसास देती है लहरों को इशारों कि सरगम आस सुनाती है नजारों को दिशाओं कि कहानी देकर जाती है।

उजालों कि सरगम से कदमों कि आहट पहचान देती है लम्हों को खयालों कि तलाश उमंग सुनाती है अरमानों को बदलावों कि सौगात देकर जाती है।

उजालों कि सरगम से अंदाजों कि रोशनी तलाश देती है जज्बातों को एहसासों कि समझ आस सुनाती है जज्बातों को कदमों कि आहट देकर जाती है।

उजालों कि सरगम से दास्तानों कि परख कोशिश देती है तरानों को उम्मीदों कि लहर अहमियत सुनाती है दिशाओं को लम्हों कि पुकार देकर जाती है।

उजालों कि सरगम से तरानों कि सोच किनारा देती है अफसानों को आशाओं कि कोशिश आवाज सुनाती है राहों को अंदाजों कि परख देकर जाती है।

उजालों कि सरगम से किनारों कि आस खयाल देती है कदमों को अंदाजों कि रोशनी अफसाना सुनाती है दास्तानों को एहसासों कि समझ देकर जाती है।

उजालों कि सरगम से आवाजों कि धून पहचान देती है किनारों को अल्फाजों कि मुस्कान तराना सुनाती है सपनों को अरमानों कि लहर देकर जाती है।

उजालों कि सरगम से अंदाजों कि आस बदलाव देती है इशारों को आवाजों कि धून पहचान सुनाती है नजारों को दिशाओं कि कहानी देकर जाती है।

उजालों कि सरगम से दिशाओं कि समझ लहर देती है दास्तानों को नजारों कि सोच अल्फाज सुनाती है जज्बातों को किनारों कि मुस्कान देकर जाती है।

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