Sunday, 2 April 2023

कविता. ४७६४. इरादे से जुड़कर।

                                          इरादे से जुड़कर।

इरादे से जुड़कर आस अक्सर एहसासों कि रोशनी दिलाती है लम्हों को खयालों कि मुस्कान अल्फाज देती है किनारों को सपनों कि लहर सुनाती है।

इरादे से जुड़कर आवाज अक्सर दिशाओं कि कोशिश दिलाती है सपनों को कदमों कि आस खयाल देती है बदलावों को दास्तानों कि लहर सुनाती है।

इरादे से जुड़कर अंदाज अक्सर नजारों कि सौगात दिलाती है अदाओं को दिशाओं कि कहानी अफसाना देती है तरानों को अरमानों कि लहर सुनाती है।

इरादे से जुड़कर कोशिश अक्सर आवाजों कि धून दिलाती है किनारों को आशाओं कि सरगम सपना देती है नजारों को दिशाओं कि लहर सुनाती है।

इरादे से जुड़कर रोशनी अक्सर कदमों कि अल्फाज दिलाती है बदलावों को अदाओं कि परख सुबह देती है उजालों को एहसासों कि लहर सुनाती है।

इरादे से जुड़कर सरगम अक्सर किनारों कि मुस्कान दिलाती है दास्तानों को खयालों कि समझ आस देती है आशाओं को अल्फाजों कि लहर सुनाती है।

इरादे से जुड़कर राह अक्सर आशाओं कि तलाश दिलाती है कदमों को उजालों कि रोशनी खयाल देती है किनारों को अंदाजों कि लहर सुनाती है।

इरादे से जुड़कर आहट अक्सर अरमानों कि पुकार दिलाती है आवाजों को अल्फाजों कि सरगम कोशिश देती है कदमों को जज्बातों कि लहर सुनाती है।

इरादे से जुड़कर सोच अक्सर दास्तानों कि परख दिलाती है उम्मीदों को इशारों कि आहट अल्फाज देती है आवाजों को किनारों कि लहर सुनाती है।

इरादे से जुड़कर आस अक्सर बदलावों कि सौगात दिलाती है आशाओं को अदाओं कि परख उमंग देती है अंदाजों को एहसासों कि लहर सुनाती है। 

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कविता. ५७०७. अरमानों की आहट अक्सर।

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