Thursday 11 June 2015

कविता ६ बूँद

                                                         बूँद
पहली बारिश ने हमें समजाया है की हर सुबह फिर हमे खुशियों का अहसास देगी
उसकी हर बूँद हमे छू के चुपके से है कहती वह हमारे बचपन को हमेशा अपने पास है रखती
उस हर बूँद में हमने फिर से हर चीज को पाया उस लिए हमे नहीं लगता वह हमारा कुछ भी खोने देगी
हर बूँद में अहसास है उस बचपन का उसे छूने से हमे तस्सली और ख़ुशी हासिल होगी
वह बूँद हमे छूने पर हमे बता है देती के हर बूँद की भी कोई कहानी होगी जो उसने चुपके से सुनी होगी
वह बूँद जिसमे कोई मतलब है छुपा हर बार हमे कुछ बात आसानी से हमारे दिल को बताती होगी
उन बुँदोने जो लिखी है वह नये मतलब की हर बात में कोई कहानी लिखी और समाजायी  होगी
बुँदोमे लिखे हुए हर बात को काश पढ़ने की हम में क़ाबिलियत होती तो हमारे पास रोज नयी कहानी होती
पर यह भी कोई बात होगी की बिना सोचे हमारी कहानी यूही बन के हमारे पास होगी
हमारी कहानी तो हमारी कल्पना का एहसास होगी ना की किसीकी जिंदगी की किताब होगी
दुसरो के दर्द को हम नहीं बेचने है ए बूँद तू जो हमे बताती तो दिल में रखते वह ना कभी किताब होती
हम अपने दिल में वह कहानी रखते शायद किसी के लिए मददगार होते पर उस पे कभी हमारी कहानी ना होती
हम दूसरो की ख़ुशी में हँसाने वालो में से है पर दूसरो के गमो को बेचकर कभी भी हमारी कहानी न होगी
जब हम तेरे दोस्त है तो हम बता दे तुज को की हम कभी दूसरो का गम बेचते नहीं
उसने दिया है सब कुछ हम को दूसरो के आँसू पर जो बने वह इमारत हमारी जरूरत नही
हमे नहीं लगता है के यह सही है ए बूँद की हमे  दूसरो की गलतियाँ बतानी जरुरी होगी
क्युकी हमने कोशिश तो की थी पर जब गनने बैठे तो हमने अपनी गलतियाँ कुछ ज्यादा ही गिनली

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