Tuesday 30 June 2015

कविता ४४. किताब की कहानी

                                                        किताब की कहानी
जिस कहानी में कई तरह के किरदार होते है सारे मोड़ कहानी में बार बार हम देखते है उन कहानी में कई मोड़ हमें कहानी में नये नये मोड़ हर रोज लाते है इस कहानी में सारे नये नये सोच हमारे मन में आते है
कहानी में हर तरह तरह के मोड़ जिन्दगी में हर बार आते है कहानी में सारे मोड़ नयी सोच लाते है
जो चीज़ कहानी में हमने देखी है हम हमेशा सोचते थे हम जिन्दगी में हर बार हम पाते रहते है
जब कहानी सीधे तरह से हमे आगे ले जाती है कहानी हर बार हर पन्ने में नयी सोच सभी पाते है
कहानी में तरह तरह के मोड़ हमेशा आते है कहानी को हम हमेशा हर मोड़ पर नये तरीके से समजते है
पर आज तक कभी नहीं समजा हमने कहानी में नयी सोच हम देखते है जिन्दगी में नये मोड़ लाते है
कहानी में कई मोड़ नये तरीके से समज पाते है जिन्दगी में हमेशा यह नये तरीके सिर्फ किताब में होते है
पर जिन्दगी में नयी सोच अंदर आती है वह सोच हमें सीखाती है किताब जूठ नहीं कहती है क्युकी वह बात जिन्दगी खुद में दिखाती है
कहानी फिर जिंदा होती है हर बार उन तरीकों से हमे पहले मुसीबत होती थी आज कल हम उन्हें समजा करते है
हर बार जिन्दगी को हमने जब उन नयी आँखो से देखा अपनी जिन्दगी को नये असर जिन्दगी पर असर लाती है
नयी सोच जब जिन्दगी में आती है जब हमने ख़ुशी से देखा जिन्दगी पर अच्छा असर लाती है और वह नयी सोच हमारे मन पर असर करती है
जिन्दगी में हम उन नयी चीज़ों को उम्मीद से देखते है हर बार जब हम यही सोचते है की जिन्दगी के किताब में वही मिलता है
जो उस किताब में मिलता है जिसे हम पढ़ते है अगर हम समज पाये उन अच्छी बातों को तो हम जिन्दगी में सही ओर चलते है
किताब में हुए मोड़ जब जिन्दगी में मोड़ बन जाते है तब वह हमे ख़ुशी ही दे जाते है क्यों की किताब तो आखिर में ख़ुशी ही देती है अगर उस बात को समज पाये तो खुशियाँ ही पाते है 

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