Tuesday 12 December 2023

कविता. ५०१८. लहरों की सुबह अक्सर।

                              लहरों की सुबह अक्सर।

लहरों की सुबह अक्सर आशाओं संग तलाश दिलाती है दास्तानों को एहसासों की उमंग कोशिश देकर जाती है जज्बातों से पहचान सुनाती है।

लहरों की सुबह अक्सर आवाजों संग बदलाव दिलाती है तरानों को उम्मीदों की कहानी अरमान देकर जाती है किनारों से पहचान सुनाती है।

लहरों की सुबह अक्सर अंदाजों संग पुकार दिलाती है नजारों को दिशाओं की अहमियत सहारा देकर जाती है अल्फाजों से पहचान सुनाती है।

लहरों की सुबह अक्सर तरानों संग आस दिलाती है खयालों को इरादों की कहानी बदलाव देकर जाती है कदमों से पहचान सुनाती है।

लहरों की सुबह अक्सर सपनों संग आवाज दिलाती है किनारों को अल्फाजों की आस रोशनी देकर जाती है बदलावों से पहचान सुनाती है।

लहरों की सुबह अक्सर दास्तानों संग कोशिश दिलाती है इरादों को अदाओं की पुकार सरगम देकर जाती है एहसासों से पहचान सुनाती है।

लहरों की सुबह अक्सर दिशाओं संग सौगात दिलाती है आशाओं को नजारों की कहानी परख देकर जाती है अरमानों से पहचान सुनाती है।

लहरों की सुबह अक्सर उजालों संग पुकार दिलाती है अफसानों को आशाओं की सोच उम्मीद देकर जाती है अंदाजों से पहचान सुनाती है।

लहरों की सुबह अक्सर अल्फाजों संग मुस्कान दिलाती है खयालों को इशारों की समझ सौगात देकर जाती है उजालों से पहचान सुनाती है।

लहरों की सुबह अक्सर राहों संग अहमियत दिलाती है आवाजों को बदलावों की उम्मीद मुस्कान देकर जाती है नजारों से पहचान दिलाती है।

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