Sunday 31 December 2023

कविता. ५०३७. उजालों को जज्बातों संग।

                       उजालों को जज्बातों संग।

उजालों को जज्बातों संग मुस्कान किनारा देती है लहरों को इशारों से पहचान सहारा दिलाती है नजारों को खयालों की समझ सुनाती है।

उजालों को जज्बातों संग सौगात कोशिश देती है कदमों को सपनों से आहट बदलाव दिलाती है तरानों को अरमानों की समझ सुनाती है।

उजालों को जज्बातों संग सुबह आवाज देती है एहसासों को उम्मीदों से उमंग अफसाना दिलाती है लम्हों को जज्बातों की समझ सुनाती है।

उजालों को जज्बातों संग आहट रोशनी देती है आशाओं को कदमों से आस इशारा दिलाती है लहरों को किनारों की समझ सुनाती है।

उजालों को जज्बातों संग पुकार सहारा देती है दास्तानों को तरानों से सरगम सुबह दिलाती है इशारों को उम्मीदों की समझ सुनाती है।

उजालों को जज्बातों संग पहचान तलाश देती है बदलावों को आवाजों से मुस्कान परख दिलाती है दास्तानों को अदाओं की समझ सुनाती है।

उजालों को जज्बातों संग सोच खयाल देती है नजारों को राहों से अरमान अल्फाज दिलाती है अंदाजों को अफसानों की समझ सुनाती है।

उजालों को जज्बातों संग उमंग इरादा देती है आवाजों को उम्मीदों से धारा अहमियत दिलाती है एहसासों को दिशाओं की समझ सुनाती है।

उजालों को जज्बातों संग रोशनी आस देती है आशाओं को सपनों से पुकार तलाश दिलाती है अल्फाजों को राहों की समझ सुनाती है।

उजालों को जज्बातों संग कोशिश अरमान देती है इरादों को अदाओं से आस लहर दिलाती है खयालों को अल्फाजों की समझ सुनाती है।

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