Sunday, 24 December 2023

कविता. ५०३०. दिशाओं को किनारों संग।

                             दिशाओं को किनारों संग।

दिशाओं को किनारों संग सौगात पहचान दिलाती है दास्तानों को एहसासों की कहानी सरगम सुनाती है जज्बातों को कदमों की आहट खयाल दिलाती है।

दिशाओं को किनारों संग आवाज सुबह दिलाती है तरानों को अरमानों की पुकार अहमियत सुनाती है नजारों को अंदाजों की रोशनी खयाल दिलाती है।

दिशाओं को किनारों संग आस परख दिलाती है अल्फाजों को उजालों की आहट बदलाव सुनाती है उम्मीदों को इशारों की समझ खयाल दिलाती है।

दिशाओं को किनारों संग कोशिश आस दिलाती है लहरों को आशाओं की सोच अफसाना सुनाती है लम्हों को बदलावों की सोच खयाल दिलाती है।

दिशाओं को किनारों संग राह इरादा दिलाती है इशारों को अदाओं की उमंग अरमान सुनाती है सपनों को एहसासों की सौगात खयाल दिलाती है।

दिशाओं को किनारों संग उम्मीद सपना दिलाती है नजारों को लहरों की सुबह पहचान सुनाती है अरमानों को राहों की कोशिश खयाल दिलाती है।

दिशाओं को किनारों संग समझ तराना दिलाती है जज्बातों को अंदाजों की परख एहसास सुनाती है इरादों को उम्मीदों की तलाश खयाल दिलाती है।

दिशाओं को किनारों संग लहर सरगम दिलाती है आवाजों को राहों की कहानी बदलाव सुनाती है उजालों को सपनों की आस खयाल दिलाती है।

दिशाओं को किनारों संग सोच कोशिश दिलाती है लम्हों को आवाजों की धून अफसाना सुनाती है सपनों को आशाओं की मुस्कान खयाल दिलाती है।

दिशाओं को किनारों संग उमंग अरमान दिलाती है लहरों को इशारों की समझ परख सुनाती है अफसानों को आशाओं की राह खयाल दिलाती है।

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