Monday, 18 December 2023

कविता. ५०२४. सुबह संग आशाओं की।

                     सुबह संग आशाओं की।

सुबह संग आशाओं की लहर बदलाव दिलाती है दास्तानों को एहसासों की सरगम इशारा सुनाती है नजारों को खयालों की समझ उजाला देती है।

सुबह संग आशाओं की मुस्कान पहचान दिलाती है लहरों को नजारों की सोच कहानी सुनाती है जज्बातों को इरादों की आस उजाला देती है।

सुबह संग आशाओं की रोशनी परख दिलाती है एहसासों को उम्मीदों की कोशिश आवाज सुनाती है तरानों को अरमानों की पुकार उजाला देती है।

सुबह संग आशाओं की कोशिश उमंग दिलाती है लम्हों को खयालों की समझ तलाश सुनाती है लहरों को नजारों की सोच उजाला देती है।

सुबह संग आशाओं की आस परख दिलाती है राहों को कदमों की सरगम तराना सुनाती है अरमानों को दिशाओं की कहानी उजाला देती है।

सुबह संग आशाओं की राह उमंग दिलाती है खयालों को इरादों की आस सपना सुनाती है इशारों को लम्हों की अहमियत उजाला देती है।

सुबह संग आशाओं की समझ सोच दिलाती है अरमानों को कदमों की पुकार लहर सुनाती है आवाजों को बदलावों की मुस्कान उजाला देती है।

सुबह संग आशाओं की उम्मीद इरादा दिलाती है किनारों को अल्फाजों की कहानी सहारा सुनाती है दास्तानों को राहों की सरगम उजाला देती है।

सुबह संग आशाओं की अदा नजारा दिलाती है अल्फाजों को अरमानों की पहचान उमंग सुनाती है किनारों को अंदाजों की परख उजाला देती है।

सुबह संग आशाओं की कहानी खयाल दिलाती है लहरों को जज्बातों की समझ सरगम सुनाती है एहसासों को अदाओं की सौगात उजाला देती है।


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