Thursday 21 December 2023

कविता. ५०२७. अरमानों को आस अक्सर।

                       अरमानों को आस अक्सर।

अरमानों को आस अक्सर अल्फाजों की मुस्कान संग इशारा दिलाती है अंदाजों को बदलावों की रोशनी कोशिश सुनाती है तरानों को सुबह देती है।

अरमानों को आस अक्सर जज्बातों की आस संग अल्फाज दिलाती है कदमों को उजालों की लहर बदलाव सुनाती है लम्हों को सुबह देती है।

अरमानों को आस अक्सर इशारों की समझ संग तलाश दिलाती है किनारों को खयालों की आहट इरादा सुनाती है राहों को सुबह देती है।

अरमानों को आस अक्सर अंदाजों की पुकार संग नजारा दिलाती है लम्हों को दास्तानों की परख पहचान सुनाती है लहरों को सुबह देती है।

अरमानों को आस अक्सर दिशाओं की सौगात संग आवाज दिलाती है तरानों को जज्बातों की कहानी सरगम सुनाती है आशाओं को सुबह देती है।

अरमानों को आस अक्सर किनारों की परख संग सपना दिलाती है एहसासों को उम्मीदों की आस पुकार सुनाती है अदाओं को सुबह देती है।

अरमानों को आस अक्सर दास्तानों की सोच संग खयाल दिलाती है सपनों को अफसानों की समझ सौगात सुनाती है दिशाओं को सुबह देती है।

अरमानों को आस अक्सर एहसासों की आहट संग आवाज दिलाती है इरादों को उम्मीदों की पहचान कहानी सुनाती है नजारों को सुबह देती है।

अरमानों को आस अक्सर कदमों की लहर संग कोशिश दिलाती है किनारों को सपनों की आहट सोच सुनाती है जज्बातों को सुबह देती है।

अरमानों को आस अक्सर उजालों की तलाश संग पहचान दिलाती है नजारों को किनारों की रोशनी जज्बात सुनाती है इशारों को सुबह देती है।

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