Wednesday, 6 December 2023

कविता. ५०१२. एक किनारे संग।

                                      एक किनारे संग।

एक किनारे संग कहानी चलती है सपनों के एहसासों को निशानी मिलती है जज्बातों से जुड़ने की कोशिश अक्सर मुस्कान देकर जाती है।

एक किनारे संग सरगम चलती है नजारों के अल्फाजों को उमंग मिलाती है अरमानों से जुड़ने की अहमियत अक्सर मुस्कान देकर जाती है।

एक किनारे संग सौगात चलती है अफसानों के अदाओं को तलाश मिलती है खयालों से जुड़ने की सरगम अक्सर मुस्कान देकर जाती है।

एक किनारे संग कोशिश चलती है जज्बातों के अंदाजों को लहर मिलती है दास्तानों से जुड़ने की सुबह अक्सर मुस्कान देकर जाती है।

एक किनारे संग पहचान चलती है तरानों के दिशाओं को आहट मिलती है कदमों से जुड़ने की पुकार अक्सर मुस्कान देकर जाती है।

एक किनारे संग समझ चलती है अंदाजों के इशारों को दास्तान मिलती है उजालों से जुड़ने की कोशिश अक्सर मुस्कान देकर जाती है।

एक किनारे संग अरमान चलती है खयालों के राहों को कोशिश मिलती है एहसासों से जुड़ने की आवाज अक्सर मुस्कान देकर जाती है।

एक किनारे संग परख चलती है कदमों के इशारों को लहर मिलती है बदलावों से जुड़ने की आस अक्सर मुस्कान देकर जाती है।

एक किनारे संग सोच चलती है आशाओं के अरमानों को आवाज मिलती है धाराओं से जुड़ने की आहट अक्सर मुस्कान देकर जाती है।

एक किनारे संग सुबह चलती है दिशाओं के लम्हों को दास्तान मिलती है नजारों से जुड़ने की सौगात अक्सर मुस्कान देकर जाती है।

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