Thursday 28 December 2023

कविता. ५०३४. इशारों को लम्हों की।

                            इशारों को लम्हों की।

इशारों को लम्हों की कोशिश सहारा देती है कदमों संग आशाओं से अरमानों की सरगम दास्तान सुनाती है राहों को अंदाजों की परख दिलाती है।

इशारों को लम्हों की आहट बदलाव देती है किनारों संग आवाजों से नजारों की कहानी खयाल सुनाती है तरानों को उम्मीदों की परख दिलाती है।

इशारों को लम्हों की पुकार अल्फाज देती है जज्बातों संग अदाओं से एहसासों की समझ आस सुनाती है इरादों को लहरों की परख दिलाती है।

इशारों को लम्हों की उमंग अफसाना देती है तरानों संग सपनों से उजालों की सुबह की पहचान नजारा सुनाती है उम्मीदों को सपनों की परख दिलाती है।

इशारों को लम्हों की रोशनी तलाश देती है एहसासों संग खयालों से अल्फाजों की अदा पुकार सुनाती है अंदाजों को बदलावों की परख दिलाती है।

इशारों को लम्हों की सोच सौगात देती है अंदाजों संग कदमों से धाराओं की आवाज एहसास सुनाती है अरमानों को दिशाओं की परख दिलाती है।

इशारों को लम्हों की रोशनी सपना देती है नजारों संग आशाओं से अरमानों की आहट सरगम सुनाती है खयालों को लहरों की परख दिलाती है।

इशारों को लम्हों की उम्मीद पहचान देती है आवाजों संग राहों से उजालों की पुकार अहमियत सुनाती है किनारों को सपनों की परख दिलाती है।

इशारों को लम्हों की समझ अंदाज देती है खयालों संग नजारों से आशाओं की मुस्कान धून सुनाती है अफसानों को उजालों की परख दिलाती है।

इशारों को लम्हों की आस सपना देती है दास्तानों संग दिशाओं से अंदाजों की कहानी अल्फाज सुनाती है कदमों को सपनों की परख दिलाती है।

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