Monday, 15 January 2024

कविता. ५०५२. इशारों को किनारों की।

                              इशारों को किनारों की।

इशारों को किनारों की समझ तलाश सुनाती है नजारों को दिशाओं से उजालों की राह अल्फाज दिलाती है लहरों संग मुस्कान मिलती है।

इशारों को किनारों की पुकार पहचान सुनाती है लम्हों को खयालों से जज्बातों की परख अरमान दिलाती है अदाओं संग मुस्कान मिलती है।

इशारों को किनारों की आस कोशिश सुनाती है तरानों को उम्मीदों से आशाओं की आवाज अंदाज दिलाती है राहों संग मुस्कान मिलती है।

इशारों को किनारों की लहर सौगात सुनाती है अरमानों को सपनों से अल्फाजों की उमंग उजाला दिलाती है कदमों संग मुस्कान मिलती है।

इशारों को किनारों की राह अफसाना सुनाती है अंदाजों को बदलावों से धाराओं की कहानी जज्बात दिलाती है आशाओं संग मुस्कान मिलती है।

इशारों को किनारों की उम्मीद सहारा सुनाती है आवाजों को अदाओं से दास्तानों की रोशनी सौगात दिलाती है एहसासों संग मुस्कान मिलती है।

इशारों को किनारों की सुबह खयाल सुनाती है उजालों को सपनों से आवाजों की धून अहमियत दिलाती है अल्फाजों संग मुस्कान मिलती है।

इशारों को किनारों की सरगम इरादा सुनाती है लम्हों को एहसासों से कदमों की सोच अफसाना दिलाती है खयालों संग मुस्कान मिलती है।

इशारों को किनारों की आहट तराना सुनाती है सपनों को आवाजों से दिशाओं की कहानी दास्तान दिलाती है बदलावों संग मुस्कान मिलती है।

इशारों को किनारों की सोच अदा सुनाती है उजालों को इरादों से अल्फाजों की पहचान उमंग दिलाती है जज्बातों संग मुस्कान मिलती है।

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