Saturday 27 January 2024

कविता. ५०६४. किनारों को सपनों संग।

                            किनारों को सपनों संग।

किनारों को सपनों संग आहट पुकार दिलाती है लहरों को इशारों की तलाश दास्तान सुनाती है कदमों संग अक्सर आहट इरादा देती है।

किनारों को सपनों संग पहचान सहारा दिलाती है खयालों को अंदाजों की समझ अरमान सुनाती है नजारों संग अक्सर आस इरादा देती है।

किनारों को सपनों संग आवाज कोशिश दिलाती है लम्हों को एहसासों की आहट अल्फाज सुनाती है तरानों संग अक्सर राह इरादा देती है।

किनारों को सपनों संग सरगम समझ दिलाती है दिशाओं को बदलावों की मुस्कान आहट सुनाती है जज्बातों संग अक्सर सुबह इरादा देती है।

किनारों को सपनों संग पुकार खयाल दिलाती है सपनों को अल्फाजों की सोच कहानी सुनाती है आवाजों संग अक्सर धून इरादा देती है।

किनारों को सपनों संग उमंग बदलाव दिलाती है नजारों को राहों की समझ अहमियत सुनाती है अंदाजों संग अक्सर रोशनी इरादा देती है।

किनारों को सपनों संग उम्मीद एहसास दिलाती है जज्बातों को उजालों की सरगम कोशिश सुनाती है अरमानों संग अक्सर पुकार इरादा देती है।

किनारों को सपनों संग सोच पहचान दिलाती है लम्हों को दास्तानों की परख खयाल सुनाती है उजालों संग अक्सर सौगात इरादा देती है।

किनारों को सपनों संग आस नजारा दिलाती है कदमों को अदाओं की पुकार तलाश सुनाती है अल्फाजों संग अक्सर सरगम इरादा देती है।

किनारों को सपनों संग जज्बात तलाश दिलाती है दास्तानों को आशाओं की मुस्कान अरमान सुनाती है अंदाजों संग अक्सर सोच इरादा देती है।

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