Tuesday 2 January 2024

कविता. ५०३९. इशारों संग आशाओं की।

                               इशारों संग आशाओं की।

इशारों संग आशाओं की कहानी बनती है लहरों को नजारों की निशानी मिलती है जज्बातों को कदमों की आहट अफसाने देकर चलती है।

इशारों संग आशाओं की मुस्कान बनती है किनारों को सपनों की समझ मिलती है नजारों को खयालों की सोच एहसास देकर चलती है।

इशारों संग आशाओं की उमंग बनती है तरानों को अरमानों की पहचान मिलती है बदलावों को दिशाओं की कोशिश तलाश देकर चलती है।

इशारों संग आशाओं की सरगम बनती है सपनों को एहसासों की उम्मीद मिलती है तरानों को उजालों की सुबह खयाल देकर चलती है।

इशारों संग आशाओं की पुकार बनती है राहों को अंदाजों की परख मिलती है आवाजों को अदाओं की मुस्कान अरमान देकर चलती है।

इशारों संग आशाओं की परख बनती है अल्फाजों को लम्हों की कहानी मिलती है कदमों को अरमानों की सौगात अहमियत देकर चलती है।

इशारों संग आशाओं की सोच बनती है आवाजों को बदलावों की सोच मिलती है किनारों को अल्फाजों की कोशिश उम्मीद देकर चलती है।

इशारों संग आशाओं की सुबह बनती है कदमों को अदाओं की पुकार मिलती है उजालों को सपनों की सरगम उमंग देकर चलती है।

इशारों संग आशाओं की आस बनती है अरमानों को दिशाओं की समझ मिलती है तरानों को उम्मीदों की कहानी पहचान देकर चलती है।

इशारों संग आशाओं की आवाज बनती है उजालों को सपनों की सुबह मिलती है लहरों को नजारों की तलाश किनारा देकर चलती है।

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