Friday 5 January 2024

कविता. ५०४२. देकर जाती है।

                               देकर जाती है।

राह कोई मुस्कान देकर जाती है उम्मीदों को दिशाओं का नया आसमान देकर जाती है जज्बातों से आवाजों की सुबह पहचान देकर जाती है।

राह कोई कोशिश देकर जाती है उजालों को सपनों का नया किनारा देकर जाती है अल्फाजों से आशाओं की कहानी पहचान देकर जाती है।

राह कोई उमंग देकर जाती है अरमानों को नजारों का नया सहारा देकर जाती है एहसासों से उम्मीदों की सरगम पहचान देकर जाती है।

राह कोई तलाश देकर जाती है अंदाजों को अदाओं का नया आसमान देकर जाती है इशारों से दास्तानों की परख पहचान देकर जाती है।

राह कोई आस देकर जाती है कदमों को एहसासों का नया इशारा देकर जाती है अंदाजों से आवाजों की सौगात पहचान देकर जाती है।

राह कोई अंदाज देकर जाती है किनारों को अल्फाजों का नया बदलाव देकर जाती है खयालों से अदाओं की पुकार पहचान देकर जाती है।

राह कोई अफसाना देकर जाती है लहरों को एहसासों का नया तराना देकर जाती है लम्हों से खयालों की कोशिश पहचान देकर जाती है।

राह कोई तलाश देकर जाती है अफसानों को अंदाजों का नया लहर देकर जाती है उजालों से अल्फाजों की उमंग पहचान देकर जाती है।

राह कोई इरादा देकर जाती है जज्बातों को दास्तानों का नया आसमान देकर जाती है कदमों से धाराओं की समझ पहचान देकर जाती है।

राह कोई आवाज देकर जाती है नजारों को लम्हों का नया आवाज देकर जाती है उम्मीदों से इरादों की आहट पहचान देकर जाती है।


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