Saturday 6 January 2024

कविता. ५०४३. सरगम कोई इशारों से।

                                सरगम कोई इशारों से।

सरगम कोई इशारों से अरमानों की पुकार दिलाती है लहरों को नजारों की पहचान एहसास सुनाकर जाती है जज्बातों को कदमों की सौगात दिलाती है।

सरगम कोई इशारों से आशाओं की मुस्कान दिलाती है लम्हों को खयालों की आहट किनारा सुनाकर जाती है दास्तानों को अदाओं की सौगात दिलाती है।

सरगम कोई इशारों से अंदाजों की परख दिलाती है दिशाओं को अफसानों की कहानी उमंग सुनाकर जाती है किनारों को सपनों की सौगात दिलाती है।

सरगम कोई इशारों से जज्बातों की लहर दिलाती है कदमों को अदाओं की पुकार अहमियत सुनाकर जाती है नजारों को दिशाओं की सौगात दिलाती है।

सरगम कोई इशारों से दास्तानों की कोशिश दिलाती है किनारों को अल्फाजों की आस समझ सुनाकर जाती है आशाओं को उजालों की सौगात दिलाती है।

सरगम कोई इशारों से तरानों की आवाज दिलाती है उम्मीदों को कदमों की सोच अफसाना सुनाकर जाती है अंदाजों को किनारों की सौगात दिलाती है।

सरगम कोई इशारों से अल्फाजों की सोच दिलाती है राहों को सपनों की सुबह एहसास सुनाकर जाती है तरानों को अरमानों की सौगात दिलाती है।

सरगम कोई इशारों से नजारों की कहानी दिलाती है लम्हों को खयालों की मुस्कान आस सुनाकर जाती है जज्बातों को अंदाजों की सौगात दिलाती है।

सरगम कोई इशारों से दिशाओं की पहचान दिलाती है अदाओं को दिशाओं की पुकार कोशिश सुनाकर जाती है बदलावों को अल्फाजों की सौगात दिलाती है।

सरगम कोई इशारों से उम्मीदों की राह दिलाती है इशारों को दास्तानों की परख अहमियत सुनाकर जाती है कदमों को एहसासों की सौगात दिलाती है।



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